The Train... beings death 11
अनन्या चिंकी को वापस आया देख बहुत ही ज्यादा खुश थी.. खुशी के कारण उसके हाथ, पैर और दिमाग काम ही नहीं कर रहे थे। करना कुछ चाह रही थी.. हो कुछ और ही जा रहा था। ऐसी ही हालत अरविंद जी की भी थी। कभी वह घर के अंदर आ रहे थे.. कभी बाहर जा रहे थे। कभी चिंकी के लिए कमरे से खिलौने लाकर उसे दे रहे थे।
अनन्या और अरविंद जी पूरे घर में बौराए से घूम रहे थे। चिंकी हाॅल में सोफे पर बैठी अपने मम्मी पापा की इस हालत का आनंद ले रही थी। चिंकी ने अपने पैर सामने रखी सेंटर टेबल पर रखे हुए थे और हाथों को सर के पीछे रखकर आराम से अपने मम्मी पापा को देख रही थी।
कभी दोनों ही किसी बात के लिए विचार विमर्श कर रहे थे.. तो कभी चिंकी को लेकर झगड़ रहे थे। चिंकी अपने मम्मी पापा को ऐसे देख कर बहुत ही ज्यादा खुश हो रही थी। उसे भी अपनी मम्मी पापा को ऐसे प्यार से मीठी नोकझोंक करता देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था।
आज अरविंद ने अपने हॉस्पिटल से ऑफ लिया था। थोड़ी ही देर में अनन्या ने चिंकी की पसंद का सारा खाना बना दिया.. और डायनिंग टेबल पर लगा भी दिया। अरविंद ने भी चिंकी को गोद में उठाकर सेंटर चेयर पर बैठा दिया और अपने हाथ से खाना खिलाने लगे। इस बात पर भी अनन्या और अरविंद दोनों ही बहस करने लगे थे कि चिंकी को कौन अपने हाथ से खाना खिलाएगा।
चिंकी को बहुत ज्यादा मजा आ रहा था.. उन लोगों को ऐसे प्यार से लड़ते झगड़ते देखकर। वह कुर्सी पर बैठी बैठी मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
अरविंद ने चिंकी को अपनी तरफ खींचते हुए एक बाइट उसका फेवरेट पुलाव खिलाया। चिंकी के मुंह से निवाला खत्म भी नहीं हुआ था कि अनन्या ने अगला बाइट रोटी का अपनी तरफ खींचते हुए चिंकी को खिला दिया।
चिंकी बड़ी बड़ी आंखे खोलकर भरे मुँह से खाना चबाते हुए उन दोनों की तरफ देख रही थी। अनन्या और अरविंद दोनों ने चिंकी का एक एक हाथ पकड़ा हुआ था और अपनी तरफ खींच रहे थे।
दोनों ने जल्दी से एक एक बाइट फिर से चिंकी के मुँह में खिला दिया और चिंकी को उनके ही हाथ खाने के लिए बोल रहे थे।
"चिंकी..!! मेरी गुड़िया..!! मम्मा के हाथ से ही खाना खाएगी ना आज। मम्मा ने आपका फेवरेट पुलाव बनाया है।" ऐसा कहते हुए चिंकी को एक बाइट खिला दिया।
"ना आज तो डॉल पापा के हाथ से ही खाएगी। मेरी प्रिंसेस...!! है ना प्रिंसेस।" अरविंद ने प्यार से एक ब्राउनी का पीस चिंकी को खिलाते हुए कहा।
"बनाया तो सबकुछ मम्मा ने है ना..!!" अनन्या ने एक और बाइट चिंकी को खिलाते हुए कहा।
"आइडिया तो पापा का था ना..!!"अरविंद ने चम्मच चिंकी की तरफ ले जाते हुए कहा।
दोनों लोग अब झगड़ने लगे थे।
"बस..!!! अब कोई नहीं बोलेगा।" चिंकी ने कमर पर हाथ रखकर गुस्से से कहा तो दोनों ही एकदम शांत हो गए।
"चुप..!! एकदम चुप..!!" चिंकी के इतना बोलते ही अनन्या और अरविंद ने अपने मुँह पर उंगली रख ली और शांति से बात सुनने के लिए गर्दन से इशारा किया।
तब चिंकी ने आगे बोलना शुरू किया।
"कोई मुझसे भी कुछ पूछेगा के नहीं..!! आप लोगों को मेरा आना इतना बुरा लगा के लड़ने ही लगे।" चिंकी ने गुस्से से मुँह फुलाते हुए कहा।
अनन्या और अरविंद दोनों चिंकी को ऐसे बोलते हुए देखकर खुश हो रहे थे। दोनों को बहुत ही तेज हंसी आ रही थी.. पर चिंकी के कारण रोके हुए थे। चिंकी के बोलना बंद करते ही दोनों जोरदार हंस पड़े। चिंकी आश्चर्य से दोनों की तरफ देख रही थी।
चिंकी रूठ कर अंदर जाने लगी तो अरविंद ने चिंकी को हाथ पकड़कर रोका और गोद में बिठाकर लाड करते हुए गाल खींचकर कहा, "पापा की प्रिंसेस नाराज हो गई।" चिंकी अभी भी मुँह फुलाकर बैठी हुई थी।
"सॉरी..!!" अनन्या और अरविंद ने अपने अपने कान पकड़कर कहा तो चिंकी जोर से हंस पड़ी और चिंकी को हंसते हुए देखकर अनन्या और अरविंद भी हंस पड़े।
थोड़ी देर बाद सबने मूवी देखने का प्रोग्राम बनाया और घर को ही थिएटर बनाकर चिंकी की फेवरेट मोटू पतलू की मूवी देखने लगे। मूवी के बीच उन्होंने चिप्स, पाॅपकार्न, कोल्ड ड्रिंक और चॉकलेट खाई और पूरा दिन मस्ती करते हुए ही बिताया।
वही दूसरी तरफ लैब में कंडीशन बहुत ही खराब थी। सभी लोग बहुत ही ज्यादा टेंशन में थे.. क्योंकि रिपोर्ट के हिसाब से कुछ नहीं बल्कि बहुत ही बड़ी गड़बड़ थी। डॉ शीतल, इंस्पेक्टर कदंब, नीरज और रोहित सभी बेहोश से एक दूसरे की शक्लें देख रहे थे। सन्नाटा इतना गहरा था कि पंखे चलने के कारण केबिन के अंदर रखें जरूरी कागजों के उड़ने की आवाज ही उस सन्नाटे को भंग कर रही थी। माहौल में केवल सन्नाटा था और उसमें थी कागजों के फड़फड़ाने की आवाजें, घड़ी की टिक टिक और सांसो का मध्यम स्वर।
इंस्पेक्टर कदंब ने उस सन्नाटे को तोड़ते हुए जैसे ही कुछ बोलने के लिए मुंह खोला.. केबिन का दरवाजा भड़ाक से खुला और एक आदमी.. जोकि लैब का ही कर्मचारी था.. घबराया सा एंटर हुआ। और बड़बड़ाते हुए जल्दी से बोला, "म...म...मैडम... म...म.. मैडम प..प... प्लीज जल्दी चलिए। वह जो लड़की सुबह आई थी.. उसे कुछ हो रहा है।" इतना सुनते ही सभी लोग केबिन से बाहर की तरफ दौड़ पड़े।
एक स्पेशल रूम जिसमें उस लड़की को रखा गया था। वह एक स्पेशल आईसीयू रूम था.. जिसमें सारे मेडिकल इक्विपमेंट्स थे। उस कमरे का टेंपरेचर एसी लगी होने के कारण कम ही था। साफ सुथरा, सफेद दीवारों वाला वह कमरा क्लासिक लुक दे रहा था.. उसे देख कर एक हॉस्पिटल रूम का आभास नहीं हो रहा था। आधा रूम कांच का बना हुआ था, सेंटर में बेड रखा था.. जिस पर वह बच्ची लेटी हुई थी। लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर उस बच्ची को रखा गया था। एक साइड ऑक्सीजन सिलेंडर, दूसरी साइड और मेडिकल इक्विपमेंट्स रखे थे.. जो उस लड़की की पल्स, ऑक्सीजन लेवल और बाकी पैरामीटर्स माप रहे थे।
जब इंस्पेक्टर कदंब, नीरज, शीतल और रोहित ने उस कमरे में एंटर किया तो.. एक नर्स घबराई सी उस बेड के पास खड़ी दिखी.. उसके माथे पर एसी की ठंडक में भी पसीने की बूंदे दिखाई पड़ रही थी, सांसो की गति भी तेज थी। कुल मिलाकर ऐसा कहा जा सकता था कि उसने ऐसा कुछ देखा था.. जिससे नर्स का ब्लड प्रेशर बहुत ही ज्यादा बढ़ गया था।
जैसे ही सब ने केबिन में एंटर किया नर्स दौड़ते हुए उनके पास आई और कहने लगी, "ड..ड...डॉक्टर...!! डॉक्टर कुछ तो गड़बड़ हो रही है... इस लड़की की पल्स नहीं चल रही, सांसे बहुत तेज है, ऑक्सीजन लेवल हाईएस्ट पर है.. पर हार्टबीट नहीं है। मतलब यह है कि उसमें लाइफ के यह साइन्स नहीं है.. पर इसकी बॉडी बिल्कुल परफेक्ट है.. जैसे के जिन्दा आदमी की होती है। ऑक्सीजन लेवल परफेक्ट है पर सांसे नहीं चल रही, ब्लड सरकुलेशन पूरी बॉडी में सही से हो रहा है.. पर पल्स रेट जीरो है।" नर्स न बड़ी ही कन्फ्यूजन से कहा।
इतना सुनते ही सभी के चेहरे से हवाइयां उड़ गई। सबके चेहरे एकदम सफेद पड़ गए थे.. दिल की धड़कनें सामने वाले व्यक्ति को भी सुनाई पड़े.. इतनी तेज चल रही थी।
डॉक्टर शीतल ने जल्दबाजी में आगे जाते हुए उस लड़की को एग्जामिन करने के लिए उसकी नब्ज पकड़ी.. तो उस लड़की का शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ा था। आंखें चेक करने पर बिल्कुल परफेक्ट दिख रही थी। डॉ शीतल ने कानों में स्थेटस्कोप लगाया और उस लड़की के हार्टबीट सुनने की कोशिश की.. तो वह भी उन्हें सुनाई नहीं दी।
इतना होने के बाद डॉ शीतल ने अपनी आंखों को जल्दी-जल्दी फड़फड़ाना शुरू किया और लंबी लंबी सांसे लेने लगी। उन्हें ऐसा करते देख इंस्पेक्टर कदंब ने डॉ शीतल के कंधे पर हाथ रखा.. तो वह निढाल होकर धम्म से नीचे गिर गिरने को हुई.. तो इंस्पेक्टर कदंब ने उन्हें संभाल के पास रखे सोफे पर बैठा दिया और नर्स से एक ग्लास पानी मांग कर डॉ शीतल को पिलाया।
सभी लोग प्रश्नवाचक नजरों से डॉ शीतल को ही देख रहे थे। डॉ शीतल सबको अपनी तरफ ऐसे देखता पाकर हड़बड़ा गई थी। उन्होंने एक लंबी सांस ली और बोलना शुरू किया, "जैसा कि आपको पता ही है.."
इतना कहते ही डॉ शीतल की नजर नर्स पर पड़ी.. नर्स बहुत ही हैरानी से शीतल की तरफ से देख रही थी। नर्स को ऐसे आपकी तरफ देखता पाकर शीतल कुछ देर के लिए चुप हो गई और रोहित की तरफ देखा। रोहित डॉ शीतल के इशारे को समझ गया और उसने नर्स से बाहर जाने के लिए कहा।
रोहित ने कहा, "सिस्टर.. हम लोगों को कुछ डिस्कशन करना है.. तब तक आप बाहर वेट कीजिए और हां..!! ध्यान रखिएगा की कोई भी अंदर ना आए और किसी भी तरह की डिस्टरबेंस यहां ना हो। कोई भी इमरजेंसी हो तो डॉक्टर ग्रेवाल को इन्फॉर्म कर दीजिएगा।"
इतना सुनते ही नर्स ने हां में गर्दन हिलाई और उस रूम से बाहर चली गई। अब वापस सभी की नजरें डॉ शीतल की तरफ मुड़ गई थी। डॉ शीतल ने लंबी सांस ली और बोलना शुरू किया,
"इंस्पेक्टर.. जिस बात का डर था वही होना शुरू हो गया है। आपने रिपोर्ट्स तो पढ़ी हुई थी.. इस उन रिपोर्ट्स के हिसाब से यह लड़की प्रेग्नेंट है और वह भी किसी नार्मल इंसान के भ्रूण के साथ नहीं। इसकी रिपोर्ट के हिसाब से हमें जो सैंपल्स मिले हैं... वह सैंपल उसी जीव के हैं.. जिस जीव के लक्षण देख कर ही मैं पहले टेंशन में थी। अब उस जीव की मंशा समझ में आई है। वह भी जीव हमारी दुनिया में आकर अपनी वंशावली बढ़ाना चाहता है.. ताकि हमारी दुनिया पर भी राज कर सके। मेडिकल साइंस में उस टाइप के किसी भी जीव के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। इसलिए हमें उसकी कमियां और खूबियां नहीं पता। हमें यह भी नहीं पता कि अगर वह हमला करता है.. तो हमें क्या करना चाहिए। और उसके यहां आने का क्या मकसद है.. और एक ही रात में यह सब कैसे हो गया..?? वह भी हमें नहीं पता। और सबसे बड़ी बात तो वो आया कहाँ से है और कैसे..??"
वो लोग अभी इस बारे में बातें ही कर रहे थे। सभी बहुत ज्यादा टेंशन में थे.. किसी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ भी बोलने की। ऐसे ही बैठे बैठे काफी वक्त बीत गया था। तब रोहित ने रिसेप्शन पर फोन कर के सभी के लिए कॉफी मंगवाई। सभी इस गंभीर मामले पर सोच विचार कर ही रहे थे कि घड़ी ने रात के 1 बजने का इशारा किया।
सभी हड़बड़ा गए थे इतनी जल्दी रात हो जाने से। जब वो लोग इस बारे में बात कर रहे थे तब शाम के 5 बज रहे थे.. और अब कुछ ही देर में रात के 1 कैसे..??? सभी के चेहरे पर चिंता की रेखाएं साफ नजर आ रही थी। पसीने से लथपथ शरीर, सफेद पड़ चुका चेहरा, सूनी आंखे, पपड़ा चुके होंठ और बेतरतीब सांसे... सभी उनकी बेहाली की कहानी सुना रहे थे।
सभी एक दूसरे की शक्लें ही देख रहे थे कि चारो तरफ लाल धुआं इकठ्ठा होना शुरू हो गया। कमरे में गुलाबी रोशनी फैलनी शुरू हो चुकी थी.. एक विचित्र आवाज पर सबका ध्यान गया....
चिट..चूं... चिट... चूं... चिटाक...!!!
क्रमशः.....
Punam verma
26-Mar-2022 04:43 PM
Very nice part
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
25-Mar-2022 05:52 PM
रिपोर्ट तो सच में हद निकली😐 एक ही रात में ये सब? सच में क्या कहु, मेरे पास शब्द नहीं है। बस इतना है उस बच्ची पर बहुत दया अ रही है। अचानक से समय की रफ्तार भी इस तरह बढ़ जाना, बड़ा अजीब है। मुझे शुरुआत में लगा, कि ये भाग जानबूझकर खींचा गया हो, पर रिपोर्ट में क्या लिखा था, सुनकर हैरान हूँ। अब जब दूसरी दुनिया का कोई इस धरती पर अपने कोई गलत मंसूबो को लेकर आ ही चुका है, तो देखते है अब आगे क्या होगा।
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Sana khan
27-Aug-2021 12:15 PM
Wahh
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Aalhadini
28-Aug-2021 06:08 PM
Thanks 😊
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